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Monday 11 November 2013

पैमाने

After a long time an attempt in Hindi




मेरे होंठों से
मेरी आंखों से पी ले ज़ारा
कहने को तो यह ज़हर है
मगर है यह खरा

मेरे  लबों  की यह लाली
मेरे गालों की यह सुर्खी है मद से भरी
आंखों में जो नमी है
वोह खस तेरे लिये है बनी

यह जो जाम छलक रहे हैं
इतमीनान में ना रहें हैं
पी कर ईन को समझ पाओ गए
कहां से आ रही है यह मैख़ाने की हवा

कहने को यह मेरा दिल  है
मगर यह जादूगर है
जो थोड़ा बहक गया तो यह रस का अंबर है  
पी ली तूने जो इस मैख़ाने में आज


फिर ना रह पाओ गए ( sp mistake )
यून ही बहक जाओ गए (sp mistake )
जब भी सोचो गए ( sp mistake )
छलकते पैमाने की बात

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